#hindi_poem_appreciation पृभु मैंने पकड़े है तुम्हारे हाथ
अगर मैं छुड़ाना भी चाहुंगी पर तुमने
कस कि जो पकड़े मेरे हाथ यह है मेरा विश्वास -अंधविश्वास नहीं,अब तुम ले चलोगे वहां जहां मेरे लिए सही बुरा तुम कभी मेरे लिए चाहोगे नहीं यह है विश्वास, अंधविश्वास नहीं।
तुम कण -कण में हो विराजमान
हर तरफ बस तुम ही नजर आते, तुम मलविंदर का बाल भी बांका न होने दोगे
यह है विश्वास अंधविश्वास नहीं।
जब इंसान डोल रहा विश्वास जरा कमजोर रहा ,तुम पलपल कुछ ऐसा कर जाते उनका विश्वास और गहरा कर जाते, तुम हो दुनिया में याद दिला जाते यह है विश्वास
अंधविश्वास नहीं। #Poetry#विशवास