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-भविष्य का सिकंदर- राह बदलकर झूठे चकाचौंध से चल दि

-भविष्य का सिकंदर-
राह बदलकर झूठे चकाचौंध से
चल दिया हूँ अंधेरे की ओर ।
भाता नही अब सागर का अनुप्रवाह
रुख किया हूँ जिधर है प्रतिप्रवाह ।

अब तो फबने लगा है एकांतवास
जैसे राम को भाया था वनवास ।
माना नरम हुई है जिंदगी की तासीर
पर बदला नही हूँ अमिट ताबीर ।

पथ है अमर कंटक की पहाड़ी जैसा
बीच राह में हौसला से समझौता कैसा ।
रण में निकला हूँ लेकर कटारी भला
भलीभाँति याद है किस-किस ने है छला ।

जरा वक्त को आने दो हमारे पाले में
लूँगा हिसाब सबका समाज के उजाले में ।
अभी पल रहा है मेरा नादान सा मुकद्दर
दरिया पार कर बनेगा भविष्य का सिकंदर । #सिकंदर
-भविष्य का सिकंदर-
राह बदलकर झूठे चकाचौंध से
चल दिया हूँ अंधेरे की ओर ।
भाता नही अब सागर का अनुप्रवाह
रुख किया हूँ जिधर है प्रतिप्रवाह ।

अब तो फबने लगा है एकांतवास
जैसे राम को भाया था वनवास ।
माना नरम हुई है जिंदगी की तासीर
पर बदला नही हूँ अमिट ताबीर ।

पथ है अमर कंटक की पहाड़ी जैसा
बीच राह में हौसला से समझौता कैसा ।
रण में निकला हूँ लेकर कटारी भला
भलीभाँति याद है किस-किस ने है छला ।

जरा वक्त को आने दो हमारे पाले में
लूँगा हिसाब सबका समाज के उजाले में ।
अभी पल रहा है मेरा नादान सा मुकद्दर
दरिया पार कर बनेगा भविष्य का सिकंदर । #सिकंदर
amaranand9347

Amar Anand

New Creator