पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही टिकटों की बंदरबांट और उन्हें हासिल करने के लिए दलबदल की लहर शुरू हो गई है लगभग हर बड़े लोकतंत्र में पार्टियों का अपने उम्मीदवारों के चयन निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी सदस्य और उसका इन लोगों की रहा और उम्मीदवारों की योग्यता के आधार पर करती है लेकिन भारत में ऐसा नहीं है यह पार्टी नेताओं की बात उसी की तरह चलती है इसलिए उम्मीदवारों का चयन नेता और उनके वफादारी की पसंद जाति में है स्वर्ग हैसियत बाहुबली लोकप्रियता के आधार पर किया जाता है यहां भारत का मतदान की सबसे बड़ी जाति धर्म और वर्ग क्षेत्रफल होता है और अक्सर उसी हिसाब से वोट देता है हालांकि उसकी उम्मीद होती है कि उसके चुने हुए प्रतिनिधि उसकी जाति और वर्ग के लिए काम करने के लिए साथ-साथ शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाए वास्तव में होता है इसके विपरीत मतदाता अपने मत का प्रयोग योगिता और व्यापक जनहित के मुद्दे पर नहीं करते इसलिए उसकी जाति और ना ही उसके जीवन में कोई सुधार आता है लोकतंत्र में प्रतिनिधियों के कार्यकाल के लिए चुना जाता है ताकि काम ना करें और अपने अगले चुनाव में दिखाया जा सके अपने काम के प्रति उत्तरदाई बनाने का जो एकमात्र मतदाता के पास हो चुका है उम्मीदवार के नाम पर जाते हैं दूसरों के नाम पर आगामी विधानसभा चुनाव में भी कहानी ©Ek villain # बुनियादी मुद्दों के इंतजार में चुनाव #makarsakranti