Nojoto: Largest Storytelling Platform

"चाद तेरे ये उजाले हो मुबारक तुमको, सूर्य किरणो के

"चाद तेरे ये उजाले हो मुबारक तुमको,
सूर्य किरणो के ये जाले हो मुबारक तुमको,
रुप अदने से दिये सा भले मेरा होगा...,
मैं तो उस वक्त जलूंगा जब अंधेरा होगा ।।

दिल मे तूफान हो पर शोर सुनाई ना दे,
आख से खून बहे और दिखाई ना दे,
जब उखड़ जाए इरादे ये कदम रुक जाए,
आदमी मंजिलो तक पहुचे मगर रुक जाए,
ऐसे हालात मे हिम्मत न मुसाफिर हारो,
अपने अन्तस मे पली कुण्ठा को खुद ही मारों,
रात गहरी हो जब सूझे न कुछ निगाहो को,
तब समझ जाओ कि जल्दी ही सबेरा होगा...!
मै तो उस वक्त.................!!1!!

रंज होती है मगर इस तरह नही होती,
ये उदासी तो कभी बेवजह नही होती,
क्या करे क्या न करे कुछ सवाल जब आए,
दिल मे मरने के बेढ़ब खयाल जब आए,
ये भी शायद हो कि कुछ लोग हमपे तंज कसे,
हम अंधेरों मे रहें लोग उजालों मे हसें,
जब जमाना मेरे जज्बात के संग खेलेगा,
जब सही और गलत का भी बखेड़ा होगा ।
तब मै उस वक्त जलूँगा................!!2!!

चलते चलते में यूँ कदमो के निशा मत खोना,
बुझे जो हल्के थपेड़ो से, शमा मत होना,
खोना कुछ पाने के ही साथ चला करती है,
हार की शक्ल मे इक जीत पला करती है,
मुश्किलो मे कभी हिम्मत ना तुम हारो यारों,
राह मत देखो बस मंजिल को निहारों यारों,
जिन दरख्तों को तुम सूखा हो समझते जालिम,
याद रखना वों भी चिड़ियों का बसेरा होगा ।।
मै तो उस वक्त जलूँगा................!!3!!''

-#'कुमार आशू' की कलम से
"चाद तेरे ये उजाले हो मुबारक तुमको,
सूर्य किरणो के ये जाले हो मुबारक तुमको,
रुप अदने से दिये सा भले मेरा होगा...,
मैं तो उस वक्त जलूंगा जब अंधेरा होगा ।।

दिल मे तूफान हो पर शोर सुनाई ना दे,
आख से खून बहे और दिखाई ना दे,
जब उखड़ जाए इरादे ये कदम रुक जाए,
आदमी मंजिलो तक पहुचे मगर रुक जाए,
ऐसे हालात मे हिम्मत न मुसाफिर हारो,
अपने अन्तस मे पली कुण्ठा को खुद ही मारों,
रात गहरी हो जब सूझे न कुछ निगाहो को,
तब समझ जाओ कि जल्दी ही सबेरा होगा...!
मै तो उस वक्त.................!!1!!

रंज होती है मगर इस तरह नही होती,
ये उदासी तो कभी बेवजह नही होती,
क्या करे क्या न करे कुछ सवाल जब आए,
दिल मे मरने के बेढ़ब खयाल जब आए,
ये भी शायद हो कि कुछ लोग हमपे तंज कसे,
हम अंधेरों मे रहें लोग उजालों मे हसें,
जब जमाना मेरे जज्बात के संग खेलेगा,
जब सही और गलत का भी बखेड़ा होगा ।
तब मै उस वक्त जलूँगा................!!2!!

चलते चलते में यूँ कदमो के निशा मत खोना,
बुझे जो हल्के थपेड़ो से, शमा मत होना,
खोना कुछ पाने के ही साथ चला करती है,
हार की शक्ल मे इक जीत पला करती है,
मुश्किलो मे कभी हिम्मत ना तुम हारो यारों,
राह मत देखो बस मंजिल को निहारों यारों,
जिन दरख्तों को तुम सूखा हो समझते जालिम,
याद रखना वों भी चिड़ियों का बसेरा होगा ।।
मै तो उस वक्त जलूँगा................!!3!!''

-#'कुमार आशू' की कलम से