जब देखा तूफानों को जमीं को रौंदते चमड़ी की दुविधा में दमड़ी को भोगते अनायास तब पवन बनकर झौंका सदृश छोड़ सतह भर ही,हिलकोर दिया अदृश्य तभी,हाँ तभी पुनः सन्नाटा था पसर गया उचित,अनुचित में भटकाव है ठहर गया प्रकृति की निःशब्दता से प्रभावित काल आज,कल,परसों और वर्षों से सदा बहाल सत्य का प्रभाव अभिलेख है? #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #life #musings #geeta #yqhindi #yqquotes