खेल में राजनीति के,मानुष है लाचार। घर-घर घूमें नेताजी,करने यहाँ प्रचार।।१ वोट माँगना धर्म है,कहते हैं वो आज। हाल कभी पूछा नहीं,माँग रहे हैं ताज।।२ कुर्सी की माया बड़ी,भिड़ते नेता रोज। खूब प्रेम से थी पढ़ी,करने कुर्सी खोज।।३ नेता में गुण चाहिए,करने जग कल्याण। अपना नहीं विचारिए,रखना सबका ध्यान।।४ भारत भूषण पाठक"देवांश" ©Bharat Bhushan pathak #politicalsatire poetry lovers hindi poetry on life love poetry in hindi poetry for kids hindi poetry