तेरी दाल पकती है पकती रहेगी कि रोटी मेरी यूँ तड़पती रहेगी दाल मखनी का मुझसे तू वादा न कर नहीं तो मक्खन से रोटी लिपटती रहेगी विनोद कुमार मौर्या