उसकी बेरंग सी दुनिया में रंगों की बहार थी फिर क्यों उसे ना गवार थी,,, उसकी बेरंग सी दुनिया में रंगों की बहार थी फिर क्यों उसे ना गवार थी,,, उसके बेसूरी में सूर की तरंग थी संगीत की कोई मनभावन लहर थी,,, बेस्वादी में जायके का अलग अंदाज़ थी उसके सूनेपन में सारंगी की कोई तार थी,,