हर अंधेरे में , कहीं न कहीं होता हैं , एक रोशनी का दरिचा । यकिनन मुझे यकिन हैं , खुद पर , कि उस बंजर भूमी में , एक दिन होगा , एक खुबसुरत सा बगीचा । #रोशनीकादरिचा#