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मैं लिखूं तुम्हे तुम पढ़ना मुझे। कुछ इस तरह एक-दू

मैं लिखूं तुम्हे 
तुम पढ़ना मुझे।
कुछ इस तरह 
एक-दूसरे को
हम जान जाएँगे।

तुम रूठना मैं
मनाऊँ तुम्हे
तुम रोना मैं
हँसाऊं तुम्हे।
कुछ इस तरह 
से हम गमे दरिया 
के उस पार जाएंगे।

तुम खो जाओ कहीं
तो मैं ढूँढूँ तुम्हे।
मैं गुम जाऊँ कहीं
तो तुम पूँछो मुझे।
कुछ इस तरह से 
एक दूसरे का साथ
हम निभा पाएंगे। Satya Prakash Upadhyay aamil Qureshi  aman6.1 Pushpa D Di Pi Ka 

#काश #ऐसा #हो #पाता(#K)
मैं लिखूं तुम्हे 
तुम पढ़ना मुझे।
कुछ इस तरह 
एक-दूसरे को
हम जान जाएँगे।

तुम रूठना मैं
मनाऊँ तुम्हे
तुम रोना मैं
हँसाऊं तुम्हे।
कुछ इस तरह 
से हम गमे दरिया 
के उस पार जाएंगे।

तुम खो जाओ कहीं
तो मैं ढूँढूँ तुम्हे।
मैं गुम जाऊँ कहीं
तो तुम पूँछो मुझे।
कुछ इस तरह से 
एक दूसरे का साथ
हम निभा पाएंगे। Satya Prakash Upadhyay aamil Qureshi  aman6.1 Pushpa D Di Pi Ka 

#काश #ऐसा #हो #पाता(#K)
vkviraz9338

V.k.Viraz

Silver Star
New Creator