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ख़ामोश झील में झाँकता महाताब कभी गरज गरज कर बरसती ब

ख़ामोश झील में झाँकता महाताब
कभी गरज गरज कर बरसती बरसात

कभी धरती की आसमाँ से गुफ़्तुगू 
और कभी चकोर की चाँद से बात।

साँझ के सिरहाने पर बैठी रात
लेकर आती है सपनों की सौगात।

तारों की सजधज से निखरी आज
चार पहर की चाँदनी में डूबी रात।

चाँद को छू लूँ तारों को तोड़ लाऊँ
कई हसरतें जन्म लेती हैं एक साथ।

जुगनुओं को पकडूँ, हवाओं को गुदगुदाऊँ
जब भी आसमाँ से गुफ़्तगू हो करूँ हर बात।

सन्नाटों को सुनूँ  ख़ामोशी का थामकर हाथ
जो नींद टूटी बिखरे सपने जो देखे बीती रात। ♥️ Challenge-681 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 

♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
ख़ामोश झील में झाँकता महाताब
कभी गरज गरज कर बरसती बरसात

कभी धरती की आसमाँ से गुफ़्तुगू 
और कभी चकोर की चाँद से बात।

साँझ के सिरहाने पर बैठी रात
लेकर आती है सपनों की सौगात।

तारों की सजधज से निखरी आज
चार पहर की चाँदनी में डूबी रात।

चाँद को छू लूँ तारों को तोड़ लाऊँ
कई हसरतें जन्म लेती हैं एक साथ।

जुगनुओं को पकडूँ, हवाओं को गुदगुदाऊँ
जब भी आसमाँ से गुफ़्तगू हो करूँ हर बात।

सन्नाटों को सुनूँ  ख़ामोशी का थामकर हाथ
जो नींद टूटी बिखरे सपने जो देखे बीती रात। ♥️ Challenge-681 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator