कह दो उस मग़रूरआफ़ताब से ज़रूरत और नहीं उसके अनवार की किसी और क़ायनात में हो रहे रौशन कि हमारे आसमां के उजालो को हमारा नूर काफ़ी है Musings - 12/11/18