ए मां बता! कैसे करूं मैं तुझे नमन? दिया जन्म तूने उस लाल को गर्व से उठाया जिसने भारती के भाल को धन्य–धन्य कोख तुम्हारी,धन्य तुम्हारा त्याग तेरे बलिदानों के आगे नतमस्तक संसार ए मां! बता कैसे जताऊं मैं तेरा आभार? इतराए सागर कर वंदन हर बार पर्वत इठालये,बन मुकुट विशाल स्वर्ग से ज्यादा शोभा तेरी,सूर्य से ज्यादा आभा है तेरे दर पर ही खुलता ए मां!,मन का सारा द्वारा है ए मां बता! लौटाऊ मैं कैसे तेरा उपकार? जताऊं मैं कैसे तेरा आभार? मां!तेरा विशाल स्वरूप,हर स्वरूप में विराट रूप कभी तू बलिदानी पन्ना धाय है,कभी तू ही लक्ष्मी बाई है वीरांगनाओं से ये धरती ना सूनी है तेरे तिलकों से ही तो ,वीरों की तूती बाजी है तन वारु, मन वारु ,वारु मैं घर बार मातृभूमि के लिए, दृढ़ राखू तलवार ए मां बता! कैसे चुकाऊं मैं तेरा उधार? धन वैभव की कामना नहीं, नहि इच्छित है सिरताज़ तेरे पद रज को ही समझूं सदा तिलक समान तेरे मान के आगे,मां सब तृण समान तेरे इक इशारे पर, न्यौछावर संसार ए मां बता! करूं मैं कैसे तेरा सम्मान? ए मां बता! चुकाऊं मैं कैसे तेरा उधार? #kargilvijaydiwas #kargil #hindipoetry #quoteshindi