पाषाण भी रूदन करते हैं ये पर्वतों के निकलते नीर ने सिद्ध किया! यात्री,कवि लेखक ने अपनी क्षमता से समझा वही लिख दिया अश्रुओं की धार को झरनों का नाम दिया! पर्वत का शीतल ह्र्दय चीखा और पीड़ा से फटा तो घाटी का नाम दिया। कलकल के कोलाहल में पाषाणों ने अपना कष्ट चुपचाप डूबा दिया..! Pic- pinterest #jharna #yqdidi #madhaviyam #YourQuoteAndMine Collaborating with राणा माधवेन्द्र प्रताप सिंह