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दिन ढलने के बाद , रात होती है । सपनो मे उनसे , मु

दिन ढलने के बाद ,  रात होती है ।
सपनो मे उनसे , मुलाक़ात होती है।
दिन तो सूखे गुज़र जाते हैं , यादों मे,
रातों मे , अश्क़ों की,बरसात होती है।
हमारे सर क्यों हो ,इल्ज़ामे-रुसवाई ,
सब ज़माने की ख़ुराफात , होती  है।
हम तो बड़े , ख़िलाड़ी-ए-इश्क़ ,बने फिरते थे,
हमे क्या पता था कि , यहाँ भी मात होती है।
अपने हुश्न पर अच्छा नहीं , इतना ग़ुरूर ,"फिरारक़",
याद रहे, मोहब्बत की भी , अपनी औक़ात होती है। नमस्कार लेखकों।😊 

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दिन ढलने के बाद ,  रात होती है ।
सपनो मे उनसे , मुलाक़ात होती है।
दिन तो सूखे गुज़र जाते हैं , यादों मे,
रातों मे , अश्क़ों की,बरसात होती है।
हमारे सर क्यों हो ,इल्ज़ामे-रुसवाई ,
सब ज़माने की ख़ुराफात , होती  है।
हम तो बड़े , ख़िलाड़ी-ए-इश्क़ ,बने फिरते थे,
हमे क्या पता था कि , यहाँ भी मात होती है।
अपने हुश्न पर अच्छा नहीं , इतना ग़ुरूर ,"फिरारक़",
याद रहे, मोहब्बत की भी , अपनी औक़ात होती है। नमस्कार लेखकों।😊 

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