बिछड़े परिवार मिलाए जायेंगे, कल यही किस्से सुनाए जायेंगे। खानें के लाले पडे़ हैं जहाँ में, अब तो जा़म छलकाए जायेंगे। शा़की मिली आज पैमाने से, मयखा़नें में सब दीवानें जायेंगे। रौशन हुई तेरी मधुशाला आज, कई घरों के उजाले जायेंगे। बच्चों की गुल्लक भी फोडी़ गई, ,रीता, पेट के अब निवाले जायेंगे। समसामयिक ग़जल