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# कभी अपनी हसी पर आ जाता है गुस्स | English Shayar

कभी अपनी हसी पर आ जाता है गुस्सा,
तो कभी सारे जहाँ को हसाने को जी चाहता है|
कभी छुपा लेता हूँ गमों को दिल के किसी कोने में,
तो कभी किसी को सब कुछ बताने को जी चाहता है||

कभी रोता नहीं दिल टूट जाने पर भी,
और कभी बस यूँ ही आँसू बहाने को जी चाहता है|
कभी हसी आ जाती है भीगी यादों में,

कभी अपनी हसी पर आ जाता है गुस्सा, तो कभी सारे जहाँ को हसाने को जी चाहता है| कभी छुपा लेता हूँ गमों को दिल के किसी कोने में, तो कभी किसी को सब कुछ बताने को जी चाहता है|| कभी रोता नहीं दिल टूट जाने पर भी, और कभी बस यूँ ही आँसू बहाने को जी चाहता है| कभी हसी आ जाती है भीगी यादों में, #Shayari

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