आदत थी मेरी सपने बुनने की लो आज पुरे हो गये , सोचा था मैने कभी खुल कर हंसु लो आज मन्नत पुरी हुई, कामयाबी मिलि नही है , बस उसी राह पर हुॅं मै अभी तब किस बात कि फिकर है मुझे साथ देने वाले गुरु है अभी.. उड़ने का अरमान पाला था मैने पंख निकलने लगे है अभी.. शुक्रिया तुम्हारा ओ मेरे भगवन! उम्मीदो का शिलशिला शुरु हुआ है अभी..!! ©Shreehari Adhikari369 #udaan #bestpoem