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अरमानों से नदी बह रही आग की सांसो में जलती हैं लपट

अरमानों से नदी बह रही आग की
सांसो में जलती हैं लपटें
फुंफकरें ज्यों नाग की
क्यों रूठे हो मान भी जाओ
बादल जी 
इतने नख़रे नहीं दिखाओ
बादल जी !
अश्रु चैन से सारे सपने लूट रहे हैं
संयम की हर डोर हाथ से छूट रहे हैं
"बहुत हुआ" अब मत तरसाओ
बादल जी !
दिल के सारे शहर जल रहे
किये भरोसा ज़हर मिल रहे
खुद पर मत यूँ दाग़ लगाओ
बादल जी
"बहुत हुआ" अब मत इतराओ
बादल जी !
 #बहुतहुआ #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi.....😊😊☺☺☺💐💐☕☕🍫🍫🍫👨💕💕💕💕चाहो तो
"बादल जी"
की जगह 
"साजन जी"
पढ़ कर पूरा रस भी ले सकते हैं !😀😀😁💕💕💕👨🍫
अरमानों से नदी बह रही आग की
सांसो में जलती हैं लपटें
फुंफकरें ज्यों नाग की
क्यों रूठे हो मान भी जाओ
बादल जी 
इतने नख़रे नहीं दिखाओ
बादल जी !
अश्रु चैन से सारे सपने लूट रहे हैं
संयम की हर डोर हाथ से छूट रहे हैं
"बहुत हुआ" अब मत तरसाओ
बादल जी !
दिल के सारे शहर जल रहे
किये भरोसा ज़हर मिल रहे
खुद पर मत यूँ दाग़ लगाओ
बादल जी
"बहुत हुआ" अब मत इतराओ
बादल जी !
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"साजन जी"
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