जीने दो अब सबको आजादी से मत नचाओ किसी को इशारों से, दे दो अब तुम सबको ही स्वतंत्रता, खुदगर्जी के कठ्ठर पंथी विचारो से उड़ने दो खुले गगन में परिंदो को, पंख काट मत कैद करो पिंजरों में, मत तुम नाच नचाओं लाचारों को, किस्मत के मारों पे अब रहम करों। खेला खेल अब तब कठपुतली का, खेल खेले सब, अब इंसानियत का। हम सब पहले से बने है कठपुतली, नाच नचाता हम सबको ऊपरवाला #pupet