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तुम्हारी तलब (ग़ज़ल) बेस्वाद सी जिंदगी को मेरी जब

तुम्हारी तलब (ग़ज़ल)

बेस्वाद सी जिंदगी को मेरी जब से तेरे प्यार का स्वाद लग गया,
पल में सारे समां के साथ-साथ जिंदगी का जायका बदल गया।

जीने लगे तेरे ही ख्वाबों-खयालों में रात और दिन, शाम-ओ-पहर,
खोया रहने लगा दिल तेरे तसव्वुर में और कोई काम ना रह गया।

तुम्हारी तलब ऐसी लगी कि मेरी सारी की सारी दुनियाँ बदल गई,
हर पल हर घड़ी खुदा से दुआओं में तुझे ही मांगने दिल लग गया।

कट रही थी मेरी जिंदगी तन्हाइयों में तूने शहनाइयों से सजा दी,
चाहने लगे दिल-ओ-जान से ज्यादा जाने तू कैसा जादू कर गया।

तेरे बिना जिंदगी जीने की "एक सोच" कभी सोच भी नहीं सकती,
तेरा नाम दिल के साथ-साथ हाथों की लकीरों पर भी लिख गया। तुम्हारी तलब (ग़ज़ल) 

#कोराकागज 
#collabwithकोराकागज 
#KKPC16
#विशेषप्रतियोगिता
तुम्हारी तलब (ग़ज़ल)

बेस्वाद सी जिंदगी को मेरी जब से तेरे प्यार का स्वाद लग गया,
पल में सारे समां के साथ-साथ जिंदगी का जायका बदल गया।

जीने लगे तेरे ही ख्वाबों-खयालों में रात और दिन, शाम-ओ-पहर,
खोया रहने लगा दिल तेरे तसव्वुर में और कोई काम ना रह गया।

तुम्हारी तलब ऐसी लगी कि मेरी सारी की सारी दुनियाँ बदल गई,
हर पल हर घड़ी खुदा से दुआओं में तुझे ही मांगने दिल लग गया।

कट रही थी मेरी जिंदगी तन्हाइयों में तूने शहनाइयों से सजा दी,
चाहने लगे दिल-ओ-जान से ज्यादा जाने तू कैसा जादू कर गया।

तेरे बिना जिंदगी जीने की "एक सोच" कभी सोच भी नहीं सकती,
तेरा नाम दिल के साथ-साथ हाथों की लकीरों पर भी लिख गया। तुम्हारी तलब (ग़ज़ल) 

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