मेरी नज़र में #कन्यादान... कन्या दान सभ्यता और परिवार की नींव हेतु बनाई गई एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण रीति है और इसकी नायिका हम "स्त्रियां" ❣️है... #पुरुष प्रधान समाज है था और रहेगा भी वास्तविकता है... पर पुरुष जोकि प्रधान है आज भी समाज में और उनके द्वारा "कन्यादान" की परंपरा को अपना अधिकार मानना गलत है। समाज के सुचारू रूप से संचालन के लिए यह परंपरा हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित की गई है। #स्त्री ही इस कार्य को सम्पन्न कर सकती थी संपूर्ण ब्रह्मांड का कण कण यह जानता है। #सभ्यता की शुरुआत भी घर बनाने से हुई है। अगर #स्त्री, #पुरुष दोनों ने इस परंपरा को अस्वीकार कर दिया होता तो शायद हम भी सभ्य जानवर नहीं कहलाते पशुता हावी रहती। तो #कन्यादान पारिवारिक जीवन को स्थापित करने की नींव है। मैं तो यही सोचती हूं। एक बार लिखा था.. स्त्रियां प्रकृति प्रदत्त कार्यों को संपादित करती है.. स्त्रियां प्रकृति ही है ... पुरुष प्रकृति सेवक😎😆। ✍️⚡मुर्खों की बात पर आहत होना प्रकृति का गुण नहीं है प्रिय नायिकाओं ♥️ मोना सिंह आत्मसंपदा ©Mona Singh #कन्यादान