धीरे धीरे से मेरे ज़िन्दगी में धीरे धीरे से मेरे जिंदगी में तुम,शामिल हो रहे हो, या यूँ कहो, धीरे धीरे तुम मेरी जिंदगी से वाकिफ हो रहे हो, तेरी बातों में मेरा जिक्र होने से,मेरे लब मुस्कुरा रहे है अब तो सपनो में भी तेरे सपने आ रहे है, तेरे मेरे इस बढ़ते जज्बातों को क्या नाम दू मैं, दोस्त कहु, हमसफ़र कहु, या तुझसे नजरे चुरा कर,अपनी यादो को संभाल लू मै तेरे मुस्कुराने पर मेरा बालों को यूँ सवारना तुझे देख कर मेरी धड़कनों का बढ़ जाना धीरे धीरे से मेरे जिंदगी में तेरा आना और मेरा तेरा बनके रह जाना शायद यही आशिक़ी है ना। #Zindagi K🎧ushik Suraj Garg कुमार सौम्य