Nojoto: Largest Storytelling Platform

देवी का दर्जा मैंने माँगा नहीं इतना सशक्त स्वयं को

देवी का दर्जा मैंने माँगा नहीं
इतना सशक्त स्वयं को जाना नहीं
मैं खुश हूँ कर्तव्यों में उलझी हुई
मुझे औरत ही रहने दो

टूटती हूँ पर मैं बिखरती नहीं
दर्द से मुँह मोड़ती भी नहीं
मैं खुश हूँ रिश्तों में जकड़ी हुई
मुझे औरत ही रहने दो

बातें ये सम्मान की रहने भी दो
बातें आज़ादी की तुम भी रहने दो
मैं खुश हूँ चारदीवारी में सहमी हुई
मुझे औरत ही रहने दो

बात कड़वी है पर मुझे कहने दो
दे सको कुछ यदि तो सुरक्षा दो
मैं खुश हूँ विचार भंवर में उलझी हुई
मुझे औरत ही रहने दो

लोग कहते हैं जो उनको कहने दो
दुर्गा,काली,लक्ष्मी तुम मुझे मत कहो
खुश हूँ सीता सी परीक्षा में तपती हुई
मुझे औरत ही रहने दो

©Prachi Mishra 
  #devi #Hindi #hindi_poetry