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“मैं चाहता हूँ ज़माने को आदतन जीना , मगर ये चाह कभ

“मैं चाहता हूँ ज़माने को आदतन जीना ,
मगर ये चाह कभी मुझ तलक नहीं आती,
हज़ार राहें बुलाती हैं दिन निकलते ही,
कोई भी राह मगर तुझ तलक नहीं जाती..!”
😍शुभ रात्रि❤️🙏 #enjoy with friends
“मैं चाहता हूँ ज़माने को आदतन जीना ,
मगर ये चाह कभी मुझ तलक नहीं आती,
हज़ार राहें बुलाती हैं दिन निकलते ही,
कोई भी राह मगर तुझ तलक नहीं जाती..!”
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