सच कहने पे लगी उसे तौहीन इश्क़ की ज़ेर-ओ-ज़बर ये ज़ीस्त,न शौक़ीन इश्क़ की ख्वाबों का शहर लुत्फ़ का मंज़र लुटा हुआ जज़्बात ख़त्म,करके की तदफ़ीन इश्क़ की गुलशन में अब बिकस न रहे गुल ये प्यार के क्यों इत्र से करें यूँ ही तज़ईन इश्क़ की काँटों का बेवफ़ाई क़बा हम को दे दिया रातें बिताएं मस्त, वो रंगीन इश्क़ की आँखों से गम-ज़दा हो,कहें 'नीर' बस यही रब की पनाहों में रहे तस्कीन इश्क़ की। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1060 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।