आजकल डर के बारे में मेरे खयाल बदल रहे हैं, अनजाने और नए रास्तों पर कदम आगे बढ़ रहे हैं, क्या हो पाएगा मुझसे यह सवाल अब भी होता है, पर अब जवाब ढूंढने मन के बदले मैं दौड़ रही हूं, थोड़ा बहुत लड़खड़ाती हूं फिर खुद ही संभल जाती हूं, संभलकर चलना आदत है और नए रास्तों पर अब वही खुद की हिफाजत है, कहीं पहुंचने का लक्ष्य ना कल जरूरी था ना आज जरूरी है, पर कहीं अटक जाने का डर अब चलने लगा है, शायद उसे भी पता है कि अब उसका पता बदल रहा है। 🧡📙📙🧡 #thoughts #fear #change #newpaths #movingahead #napowrimo #napowrimo2022bygrishma #grishmapoems