शिकायतें हज़ारों है ज़माने को मुझसे हर कोई कह जाता है तुम बदल गई हों हां वाक़िफ हूं में भी पूरी तरह से पहले वाली अब वो बात नहीं है होंठो पर मुस्कुराहट है चेहरे पर खुशी की आहट नहीं है सोती हूं हजारों ख्वाहिशें दिल में लिए और होते ही सुबह हर ख्वाब बदल जाया करता है एक नई ही कहानी से राबता जो हो जाया करता है आंखों की नमी को हर बार छुपाना जानती हूं में हां सच कहा थोड़ा बदल गई हूं में सिमटी सी एक अलग ही अपनी ही दुनियां में खो गई हूं में बस अब खुद से थोड़ा मिल गई हूं में कभी हंसना कभी रोना और खुद से ही समझना सीख गई हूं में हां थोड़ा - सा बदल गई हूं में #veinst#थोड़ा#बदल#गई #हूं#में #lovewritting#khawab#poetry#somethingnew