Nojoto: Largest Storytelling Platform

उम्मीद के चिराग़ तले अंधेरा बहुत है यूं तो कहने को

उम्मीद के चिराग़ तले अंधेरा बहुत है
यूं तो कहने को यहां पर सवेरा बहुत है
अदभुत मकड़जाल चारो तरफ़ फैला है 
चौराहे पे खड़ा हूं भ्रम ने घेरा बहुत है
उम्मीद के चिराग़......
वो लंबी लंबी बातें अब खोखली लग रही 
जहां भी देखता हूं गम का डेरा बहुत है
खिड़की उदास है या उससे देखने वाला
सार गर्भित हुआ ये मन मेरा बहुत है
उम्मीद के चिराग़......
हर कोई तो चाहता है कि पूरी हो मुराद 
सब्र के बांध में बेसब्री का घनेरा बहुत है
जी तो सब रहे हैं अपने अपने हिसाब से
हसरतों पे "सूर्य" ग्रहण पानी फेरा बहुत है 
उम्मीद के चिराग़.......

©R K Mishra " सूर्य "
  #उम्मीद  Satyajeet Roy Rama Goswami Sethi Ji Ashutosh Mishra Suresh Gulia