हर चमकता चीज़ सोना नहीं होता, इश्क़ का फितरत है दोबारा नहीं होता, तुम चाहो हमें जितना भी, प्यार मापने का कोई पैमाना नहीं होता, एक रिश्ते जोड़ने पड़ते हैं दिल के, ये बेतुका खेल है जो रोज़ाना नहीं होता, एक इल्म मुझे भी है साथ तेरे होने का, क्योंकि मैं वो शख़्स हूं जो सबका नहीं होता, ये शुरू-शुरू की बेताबिया कुछ और भी हो सकती हैं, ज़रूरी नहीं हर पसंद आने वाली चीज़ प्यार का ही नज़ाराना होता। हर चमकता चीज़ सोना नहीं होता, इश्क़ का फितरत है दोबारा नहीं होता, तुम चाहो हमें जितना भी, प्यार मापने का कोई पैमाना नहीं होता, एक रिश्ते जोड़ने पड़ते हैं दिल के, ये बेतुका खेल है जो रोज़ाना नहीं होता,