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एक ज़िन्दगी ऐ जिंदगी मैं तुझसे नाराज नहीं बस थोड़ा

एक ज़िन्दगी  ऐ जिंदगी मैं तुझसे नाराज नहीं बस थोड़ा दूर हू |
जरूरतों के झमेले में अब अपनों से दूर हू |
लिखू क्या जिंदगी तुझको समझ ये आता नहीं, 
कहीं रिश्तों में तो कहीं सियासत में लाचार हू |
अब कैसे पूरी करू ख्वाहिशें सब अपनों की , 
अपनों की ख्वाहिशें अनेक हैं और मैं एक हूँ | #जिंदगी
एक ज़िन्दगी  ऐ जिंदगी मैं तुझसे नाराज नहीं बस थोड़ा दूर हू |
जरूरतों के झमेले में अब अपनों से दूर हू |
लिखू क्या जिंदगी तुझको समझ ये आता नहीं, 
कहीं रिश्तों में तो कहीं सियासत में लाचार हू |
अब कैसे पूरी करू ख्वाहिशें सब अपनों की , 
अपनों की ख्वाहिशें अनेक हैं और मैं एक हूँ | #जिंदगी