एक दिन तो उड जाना है पंछी कैसा कैसा है फसाना चार दिन की जिंदगी चार दिन का अफसाना तो क्या सोचना क्या साथ है जाना जब तक है जिदंगी तभी तक तो साथ है निभाना न बहाना न अफसाना यही तो है अपनाना.. 🤔सतीश गुप्ता🤔 ©satish gupta 5 march 2022 #Rose