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बचपन मे गिर कर चलना हमे सिखाती है समय के साथ बोलन

बचपन मे गिर कर 
चलना हमे सिखाती है
समय के साथ बोलना हमे सिखाती है
जिंदगी तू कितना कुछ हमे सिखाती है 

गलतियों से रूबरू हमे कराती है 
कुछ क्षण इनका बोद्ध हमे कराती है 
अंततः इन गलतियों से हमे उभारती है 
जिंदगी तू कितना कुछ हमे सिखाती है ।।

बचपन मे हमे प्यार का मतलब बतलाती है
माता पिता के प्रेम से अवगत हमे कराती है 
भाई बहन के बीच के बन्धन को हमे बतलाती है 
जिंदगी तू कितना कुछ हमे सिखाती है।।

जवानी में संघर्ष करना हमे सिखाती है
मंजिल पर चलना हमें बतलाती है
अपने लक्ष्य को हासिल करने की 
तलब हमारे अंदर जगाती है 
जिंदगी तू कितना कुछ सिखाती है।।

गृहस्थ जीवन मे परिवार एवं बच्चों के प्रेम की परिभाषा हमे सिखलाती है 
रिस्तो की अहमितता से  रूबरू हमे करती है
कुछ गलती होने पर उसका अहसास हमे करती है
जिंदगी तू कितना कुछ हमे सिखाती है।।

बुढ़ापे में अकेले पन का अहसास हमे करती है 
अपनो को अपनो से दूर होते हमे दिखलाती है 
पराया पन का महसूस हमे करती है 
जिंदगी तू कितना कुछ सिखाकर  चली जाती है ।।

©Naresh chand #जिंदगी__तू__कितना__कुछ__सिखाती__है
बचपन मे गिर कर 
चलना हमे सिखाती है
समय के साथ बोलना हमे सिखाती है
जिंदगी तू कितना कुछ हमे सिखाती है 

गलतियों से रूबरू हमे कराती है 
कुछ क्षण इनका बोद्ध हमे कराती है 
अंततः इन गलतियों से हमे उभारती है 
जिंदगी तू कितना कुछ हमे सिखाती है ।।

बचपन मे हमे प्यार का मतलब बतलाती है
माता पिता के प्रेम से अवगत हमे कराती है 
भाई बहन के बीच के बन्धन को हमे बतलाती है 
जिंदगी तू कितना कुछ हमे सिखाती है।।

जवानी में संघर्ष करना हमे सिखाती है
मंजिल पर चलना हमें बतलाती है
अपने लक्ष्य को हासिल करने की 
तलब हमारे अंदर जगाती है 
जिंदगी तू कितना कुछ सिखाती है।।

गृहस्थ जीवन मे परिवार एवं बच्चों के प्रेम की परिभाषा हमे सिखलाती है 
रिस्तो की अहमितता से  रूबरू हमे करती है
कुछ गलती होने पर उसका अहसास हमे करती है
जिंदगी तू कितना कुछ हमे सिखाती है।।

बुढ़ापे में अकेले पन का अहसास हमे करती है 
अपनो को अपनो से दूर होते हमे दिखलाती है 
पराया पन का महसूस हमे करती है 
जिंदगी तू कितना कुछ सिखाकर  चली जाती है ।।

©Naresh chand #जिंदगी__तू__कितना__कुछ__सिखाती__है