मैं जहां रहूं मैं कहीं रहूं #मेरा_साया साथ होता है.! ये उजालों में धूप में कहीं, मेरे संग-संग जीता है.! बस अंधेरों में छाया में कहीं, मेरा साथ छोड़ देता है.! बचपन की वो बातें, अब भी है ज़ेहन में.! साया संग अक्सर खेला करते थे.! धूप में हम दिखते, छाया में छुप जाते.! वो ना कभी हमको ढूंढ पाया है.! छुपा छुपी में जीता ना वो हमसे, फिर भी मेरा साथ नही छोड़ा है.! मैं जहां रहूं मैं कहीं रहूं #मेरा_साया साथ होता है.! #अजय57 #मेरा_साया