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कोसा हमने बहुत परछाई को, समझा धोखेबाज उसे। कहा सब

कोसा हमने बहुत परछाई को, 
समझा धोखेबाज उसे।
कहा सबने साथ छोड़ती अंधेरों में,
क्या समझा कभी परछाई को हमनें।।

भोर में रहती हमेशा पीछे हमारे ,   
हमें देती देखने पहले उजाले की खूबसूरती 
सांझ को ये छुप जाती कहा न जानें पर,
हमको हमारे साथ थोड़ा वक्त दे जाती।।

परछाई बहुत ख़ास हैं,     
हर नज़रिए की अपनी बात हैं।    
दर्पण नहीं वास्तविकता हैं ये हमारी
जीती मरती हमारे साथ हैं।।

©_sa _anjh #Shadow #Light #Dark #hindi_poem
कोसा हमने बहुत परछाई को, 
समझा धोखेबाज उसे।
कहा सबने साथ छोड़ती अंधेरों में,
क्या समझा कभी परछाई को हमनें।।

भोर में रहती हमेशा पीछे हमारे ,   
हमें देती देखने पहले उजाले की खूबसूरती 
सांझ को ये छुप जाती कहा न जानें पर,
हमको हमारे साथ थोड़ा वक्त दे जाती।।

परछाई बहुत ख़ास हैं,     
हर नज़रिए की अपनी बात हैं।    
दर्पण नहीं वास्तविकता हैं ये हमारी
जीती मरती हमारे साथ हैं।।

©_sa _anjh #Shadow #Light #Dark #hindi_poem
mihikasri9408

_sa _anjh

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