कोसा हमने बहुत परछाई को, समझा धोखेबाज उसे। कहा सबने साथ छोड़ती अंधेरों में, क्या समझा कभी परछाई को हमनें।। भोर में रहती हमेशा पीछे हमारे , हमें देती देखने पहले उजाले की खूबसूरती सांझ को ये छुप जाती कहा न जानें पर, हमको हमारे साथ थोड़ा वक्त दे जाती।। परछाई बहुत ख़ास हैं, हर नज़रिए की अपनी बात हैं। दर्पण नहीं वास्तविकता हैं ये हमारी जीती मरती हमारे साथ हैं।। ©_sa _anjh #Shadow #Light #Dark #hindi_poem