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हाथ से रेत की तरह फिसलती है ! इसकी ये कहानी कुदरत

हाथ से रेत की तरह फिसलती है !

इसकी ये कहानी कुदरती है !!

कितना भी रोक लो ये नहीं रुकेगी !

ये उम्र है साहेब, ये चलती है और चलती है !! It's gone and gone.....
हाथ से रेत की तरह फिसलती है !

इसकी ये कहानी कुदरती है !!

कितना भी रोक लो ये नहीं रुकेगी !

ये उम्र है साहेब, ये चलती है और चलती है !! It's gone and gone.....