ऐ नए साल बता, तुझ में नयापन क्या है ? हर तरफ़ ख़ल्क़ ने क्यूँ शोर मचा रक्खा है रोशनी दिन की वही, तारों भरी रात वही, आज हमको नजर आती है हर एक बात वही आसमाँ बदला है, अफसोस, ना बदली है ज़मीं एक हिंदसे का बदलना कोई जिद्दत तो नहीं अगले बरसों की तरह होंगे क़रीने तेरे किसको मालूम नहीं बारह महीने तेरे तू नया है तो दिखा सुबह नयी, शाम नयी वरना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई बे-सबब देते हैं क्यूँ लोग मुबारकबादें गा़लिबन भूल गए वक्त की कड़वी यादें मेरी आमद से घटी उम्र जहाँ में सब की “ राजेश ” ने लिक्खी है ये नज़्म निराले ढब की 🌹शायर RK...✍🏻 ©SHAYAR (RK) #2k21