वो देख सुनहरे आसमान सुनहरा धूप खिला है, वहीं पे अंधेरे और रौशनी का बारीक़ किनारा मिला है। फैलाके पंख कोई आसमां में उड़ने को बेताब हुआ है! गिर के मिट्टी में कोई देखो खाक़ होने चला है!! दिल का हर गुब्बार अब फूट जाएगा, कोई बेनाम सा रिश्ता अब छुट जाएगा! मुस्कुराके मौत ने किया है इशारा, शायद मेरी रुखसती का वक़्त हो चला है!! अलविदा #""Ajay""# वो देख सुनहरे आसमान सुनहरा धूप खिला है, वहीं पे अंधेरे और रौशनी का बारीक़ किनारा मिला है। फैलाके पंख कोई आसमां में उड़ने को बेताब हुआ है! गिर के मिट्टी में कोई देखो