(चिंतन ) 'बिखराब को रोकना सहज है'। तुम्हारे अपने विचार है मेरा अपना मत है जरूरी नही तुम मेरे विचारों को समझो और मैं भी तुमसे सहमत हो जाऊं। विचारों में टकराव होता है। स्वभाव बदलते है। आदतें बनती बिगड़ती है। कुछ इस बिखराब में खो जाते है तो कुछ ख़ुद को सम्हाल पाते है। मातृ-पितृ ऋण, पारिवारिक सामाजिक कर्तव्य निभाओ जैसे भी ठीक से रह पाओ रहो अपना और अपनों का खयाल रखो यह विचार तुम्हें सदैव दुःख और निराशा से दूर रखेगा। प्रेम....... सतयुग में हरिश्चन्द्र का बच्चे और पत्नी सहित बिक जाना । पता है प्रेम क्या है ? प्रेम था इसलिए न पत्नी ने सवाल किए न बच्चे ने ।