तुम जो आती हो छत पर ,मैं सहम सा जाता हूं. तुम जो लहराती हो जुल्फें, मैं बहक सा जाता हूं. नहीं जानता मैं यह कैसा मौज- जा है मुर्शिद. होश में रहते हुए भी, मदहोश सा हो जाता हूं. ©Khan zada Shayar #wetogether#love#shayari#hearttouchingline