मैं मुश्किलों से राह का कंकर बना हूँ, इक पगली के ख़्वाब का शंकर बना हूँ। कोई राधा मिले तो फूँक देना मुझको, मैं कान्हा के ही प्रेम का मंतर बना हूँ। कि उनका मैं होकर उन्हीं को सताऊँ, ऐसे अजीब लोक का तंतर बना हूँ। काली घटाओं के घने विस्फोट में मैं, खुद रोशनी का सूरजी बंकर बना हूँ। अब यार सारे ड्रैकुला ही हो गये तो, मैं भी हूँ पगला खून का लंगर बना हूँ। मैंने भी हार हार कर सालों बिता दिये, इक प्यार तेरा जीत सिकंदर बना हूँ। जीना फिर मरना और ख़ाक हो जाना, यूँ लगता कारखाने का यंतर बना हूँ। तमाशा ख़तम था गिर रहा था परदा, उस मंच को ही लूट कलंदर बना हूँ। #gazal #love #passion #evening #lockdown #indore #shayri #hindi #urdu #kavita