आई साँझ की मनोहर वेला, प्रियतम मेरा आने को है होगा दीदार उनका, मन का मयूरा झूमकर नाचने को हैं होगी खुशियों की बारिशें, मन मस्त मगन हो जाएगा गवाह होंगे चाँद तारे इश्क़ के जब प्रियतम मेरा घर लौट आएगा साँझ की बेला दिन भर की थकान को दूर करने के लिए साँझ के कुछ पल अपनों के साथ बिताने पर पूरी थकान इस कदर दूर होती है मानो नव चेतना का संचार हो गया हो... कुछ पल कुदरत की बाहों में बिता कर मन को जो प्रसन्न्ता मिलती है उसका वर्णन करना मुश्किल तो है पर असंभव भी नहीं तो फिर अपने शब्दों में उस पल की प्रसन्नता को व्यक्त करने का प्रयास करते हैं। इस मनोरम चित्र के माध्यम से collab कर अपने मन के भावों को लिखतें हैं .... #अभिव्यक्ति_challangeसाँझकीबेला विशेष-: 1) रचना व्यक्तिगत होनी चाहिए।