रात बहुत तन्हा है, गुमसुम सी है, मायूस है, घबराई सी है, काँप रही है; ठंड लग रही है शायद उसे। देना ज़रा मेरे अरमानों की पोटली, जला दूँ उन्हें थोड़ी गर्माहट सेक लूँ। अरमानों का अंत नहीं, अंत में अरमानों की अर्थी उठ जानी है। #अरमान #YQdidi #SattyMuses