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नफरत की बूंदाबांदी फिर से बढ़ने लगी हैं धीरे-धीरे

नफरत की बूंदाबांदी फिर से बढ़ने लगी हैं धीरे-धीरे 
हम भी मुहब्बत की बरसात हमेशा करेगें धीरे-धीरे 

ये सियासत वाले आपस में ऐसे ही आग लगाते रहेंगे 
मगर कसम खाई हैं सब को साथ लेकर चलेंगे धीरे-धीरे 

उसकी फितरत हैं जो लोगों से कहता हैं सब जानता हूँ 
मगर ये उसका वहम हैं जो सदियों से बढ़ रहा हैं धीरे-धीरे 

गुलामी की ज़जीरो में वह सब को जकड़ना चाहता हैं 
लोगों को उसकी फितरत और मक्कारी बताऊंगा धीरे-धीरे 

जो हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश में लगें रहते हैं 
हम भी मुल्क की अमनो शान्ति की दुआ करेगें धीरे-धीरे नफरत की बूंदाबांदी फिर से बढ़ने लगी हैं धीरे-धीरे 
हम भी मुहब्बत की बरसात हमेशा करेगें धीरे-धीरे 

ये सियासत वाले आपस में ऐसे ही आग लगाते रहेंगे 
मगर कसम खाई हैं सब को साथ लेकर चलेंगे धीरे-धीरे 

उसकी फितरत हैं जो लोगों से कहता हैं सब जानता हूँ 
मगर ये उसका वहम हैं जो सदियों से बढ़ रहा हैं धीरे-धीरे
नफरत की बूंदाबांदी फिर से बढ़ने लगी हैं धीरे-धीरे 
हम भी मुहब्बत की बरसात हमेशा करेगें धीरे-धीरे 

ये सियासत वाले आपस में ऐसे ही आग लगाते रहेंगे 
मगर कसम खाई हैं सब को साथ लेकर चलेंगे धीरे-धीरे 

उसकी फितरत हैं जो लोगों से कहता हैं सब जानता हूँ 
मगर ये उसका वहम हैं जो सदियों से बढ़ रहा हैं धीरे-धीरे 

गुलामी की ज़जीरो में वह सब को जकड़ना चाहता हैं 
लोगों को उसकी फितरत और मक्कारी बताऊंगा धीरे-धीरे 

जो हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश में लगें रहते हैं 
हम भी मुल्क की अमनो शान्ति की दुआ करेगें धीरे-धीरे नफरत की बूंदाबांदी फिर से बढ़ने लगी हैं धीरे-धीरे 
हम भी मुहब्बत की बरसात हमेशा करेगें धीरे-धीरे 

ये सियासत वाले आपस में ऐसे ही आग लगाते रहेंगे 
मगर कसम खाई हैं सब को साथ लेकर चलेंगे धीरे-धीरे 

उसकी फितरत हैं जो लोगों से कहता हैं सब जानता हूँ 
मगर ये उसका वहम हैं जो सदियों से बढ़ रहा हैं धीरे-धीरे