आते जाते तेरी यादें तस्लीम कर जाती है, ना चाहते हैं फिर भी हमसे गुफ्तगू कर जाती है आते जाते तेरी यादें तस्लीम कर जाती हैं। तन्हाई के पल तलाश कर जो जा बैठी मैं झरोखे में, कमजर्फ गलियों में भी टहलने निकल आती हैं आते जाते तेरी यादें........... खुद को मशरूफ कर लिया जो हमने कभी महफिलों में, बेहया दबे पांव आ अब्सारो को भिगो जाती हैं आते जाते तेरी यादें....... आफताब का दिन हो यह हो तिमिर-ऐ-शब, बगैर दस्तख ये मेरे घर में चली आती हैं आते जाते तेरी यादें..... बे-दस्तों-पां हूं और अब हर कोशिश नाकाम है कमबख्त मुझे फिर से उठा वहीं फेंक जाती है आते जाते तेरी यादें.तस्लीम कर जाती। है .... लता!!!! #poetry #yade #dard #love #bewafaai #teraafsana #dilkibat