मुस्कुरा रहा बेशक, पर भीतर मलाल है, फँस गया यहाँ, यह कैसा मायाजाल है। होठों पे शिकवे, न गिले कोई मालूम, हलकी सी उभरी, यह कैसा सवाल है। धुन जीवन का मुझे मालूम नहीं कोई, पैर खुद थिरकने लगे, यह कैसा ताल है। बात करने को सैंकड़ो, फिर भी रहूँ खामोश, खुद से बड़बड़ाऊँ खुद, यह कैसा मेरा हाल है। हैरान कर देती है काँटें कभी घड़ियों के, वक्त थमे, मैं चलता रहूँ, यह कैसा कमाल है। #मन #मनमेरा #अभिव्यक्ति #कोराकाग़ज़ #poetry #yqdidi #love #yqquotes Best YQ Hindi Quotes YourQuote Didi