रुखसार रुखसार के आगे होता फीका गुलाब है। इसके आगे कुछ भी नहीं नशा ए शराब है। वैसे तो कुदरत भरी पड़ी है कई अजब तोहफों से लेकिन ये खूबसूरत तोहफा सबसे ज्यादा नायाब है। मंडराते रहते हैं एक झलक पाने के लिए भंवरे पर क्या करे कोई ये दुश्मन जो बना बैठा हिजाब है। मगर कुछ भी हो जाए करके रहेंगे हम भी दीदार देखते हैं कब तक होता पूरा ख्वाब है।।।। ✍️ सुरेश खरे ©Suresh khare रुखसार कविता