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ना जाने उनमे चढ़ा ये कैसा खुमार है। मुझसे जुदा ह

ना जाने  उनमे चढ़ा ये  कैसा खुमार  है।
मुझसे जुदा होकर अब रहती बीमार है।
राते काटती  नही है  उनकी मेरे  बिना
वो तकिय में सर रखकर रोती बेशूमार है।

मशवरा  देती  थी  वो  मुझे  हिज्र का
अब इस नजीते का एक वही हक़दार है।
वो  आजमाती  रही  मुझे  हर  दफा
मैने कहा तेरा मुझपे ये कैसा अत्याचार है।

संभाल रक्खा है उसने मेरे पुराने खतो को
वो ढूंढती है अब अक्सर मेरे पुराने पतो को
फिर  न हो  पाता  उनको  मेरा  दिदार  है।
मुझसे  जुदा   होकर  रहती  बीमार  है।

                       ----- संतोष रजक

©Santosh Rajak Official अब रहती बीमार है
#Love
ना जाने  उनमे चढ़ा ये  कैसा खुमार  है।
मुझसे जुदा होकर अब रहती बीमार है।
राते काटती  नही है  उनकी मेरे  बिना
वो तकिय में सर रखकर रोती बेशूमार है।

मशवरा  देती  थी  वो  मुझे  हिज्र का
अब इस नजीते का एक वही हक़दार है।
वो  आजमाती  रही  मुझे  हर  दफा
मैने कहा तेरा मुझपे ये कैसा अत्याचार है।

संभाल रक्खा है उसने मेरे पुराने खतो को
वो ढूंढती है अब अक्सर मेरे पुराने पतो को
फिर  न हो  पाता  उनको  मेरा  दिदार  है।
मुझसे  जुदा   होकर  रहती  बीमार  है।

                       ----- संतोष रजक

©Santosh Rajak Official अब रहती बीमार है
#Love

अब रहती बीमार है #Love