निकल पड़ा हूं गुमनाम सफर पर,जाने कहा रुकूंगा मैं, अब मंजिल मुझे मिलेगी या अोंधे मुंह गिरूंगा मैं। है पुरषोत्तम वहीं जो बाहूबल से मंजिल को पता है, कायर की नीयत छलने की छल कर ही मंजिल तक जाता है। बाहुबल की वहीं परीक्षा पग पग पर देते जाना है, आत्मबल है एक मात्र भरोसा उसी को और बढ़ाना है। और देखना है सिद्धांतों पे कब तक अडिग रहूंगा मैं, अब मंजिल मुझे मिलेगी या अोंधे मुंह गिरूंगा मैं। #safar #आत्मबल #डगर #exam #life #destination YourQuote Didi YourQuote Bhaijan SANKET PRAKASH Nihal srivastava Sahil Srivastava