कैदी सुबह-सुबह दफ्तर के लिए निकलते वक़्त जब घर के दरवाज़े पर ताला लगाता हूँ , तो ऐसे मह्सूस होता है , जैसे इस कमरे में अपने सामान के साथ सारे रिश्ते और खुद को भी बंद कर के निकलता हूँ ।। ये घर की चाबी जेब में डालकर जो शख्श निकलता है , मैं नहीं जानता वो कौन है , वह वो " इंसान " तो हरगिज़ नहीं है जिसने कल रात हज़ारों सपने देखे थे , जो बारिश के पानी को चखना चाहता था , जो पहाडों से आने वाला संगीत सुनना चाहता था ।।। ये तो धरती का एक प्राणी है , जो जीवन की रेस में और लोगों के मानिंद दौड़ने को निकल आया है , जो हज़ारों बंदिशों से घिरा हुआ है , और इस ताले से सिर्फ घर की क़ीमती चीजें ही नहीं , खुद को भी कैद कर आया है ।।। #PS #Nojoto #NojotoHindi #Philosophy #Kaidi